Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

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Navratri Puja 2024: नवरात्रि पूरे देश में पूरे उत्साह और श्रृद्धा के साथ मनाए जाने वाले हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है. जिसमें बहुत सारे सख्त नियमों को भी जोड़ा गया हैं.

ये बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि नवरात्रि को साल के अलग-अलग मौसमों में चार बार मनाया जाता है. जोकि चैत्र नवरात्रि, आषाढ़ नवरात्रि, शारदा नवरात्रि, और पौष/माघ नवरात्रि हैं. इनमें से, शारदा नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि महत्वपूर्ण हैं. शारदा नवरात्रि को वर्षा रितु यानि सर्दियों से पहले की शुरुआत में मनाया जाता है, और चैत्र नवरात्रि वसंत ऋतु (वसंत) में आती है, इसलिए इसे वसंत नवरात्रि भी कहा जाता है.

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चैत्र नवरात्रि साल में नौ दिनों तक मनाया जाने वाला त्योहार है जिसे उत्तरी भारत के लोग बेहद अविश्वसनीय ऊर्जा के साथ मनाते हैं. यह नवरात्रि चैत्र मास (हिंदू अनुसूची माह) के शुक्ल पक्ष के दौरान मनाई जाती है. महाराष्ट्र के लोग इस नवरात्रि के पहले दिन को गुड़ी पड़वा के रूप में मनाते हैं. तो वहीं कश्मीर में इसे नवरेह कहा जाता है. यह नवरात्रि उत्तरी और पश्चिमी भारत में सबसे ज्यादा मनाई जाती है, जो वसंत के मौसम को और ज्यादा सुंदर, मनोरम और दिव्य बनाती है. चैत्र का महिना “नए साल की शुरुआत को दर्शाता है. और इसी नए साल में शुरूआत होती है, नौ दिनों की प्रार्थना, चिंतन, और पाठ की.

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चैत्र नवरात्रि का इतिहास और महत्व

चैत्र नवरात्रि में उत्साह से भरे हुए श्रृद्धालू देवी शक्ति के तीन रूपों को विशेष रूप से पसंद करते हैं, जिनमें मां के दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी स्वरूप को विशेष रूप से पूजा जाता हैं. नवरात्रि के नौ दिन मां के नौ रूपों दुर्गा, शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, कालरात्रि, महा गौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती हैं.

नवरात्रि में नौ दिनों तक मां के भक्त उपवास रखते हैं और मां के नौ रूपों की अराधना करते हैं. इस दौरान गंदे विचारों और तामसिक भोजन से दूरी बना ली जाती है, श्रृद्धालु कोशिश करते हैं कि मांसाहारी भोजन, शराब और तंबाकू का सेवन न करें. सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, बिना प्याज और लहसुन के बने हल्के भोजन को खाया जाता हैं.

पहला दिन – शैलपुत्री

पहले दिन को प्रतिपदा के रूप में जाना जाता है, यह दिन शैलपुत्री (“पहाड़ की बेटी”) से संबंधित है, जो मां पार्वती की एक अभिव्यक्ति है. इन्हें चित्र में इस प्रकार दिखाया गया है कि नंदी पर सवार शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है.

शैलपुत्री
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दिन 2 – ब्रह्मचारिणी

दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. यहां, मां पार्वती योगिनी बन गईं. देवी ब्रह्मचारिणी का अविवाहित स्वरूप मुक्ति या मोक्ष और सद्भाव और उत्कर्ष के उपहार के लिए पूजनीय हैं.

ब्रह्मचारिणी
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दिन 3 – चंद्रघंटा

माँ का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है. मां चंद्रघंटा के मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है.

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दिन 4 – कुष्मांडा

चौथे दिन को देवी कुष्मांडा का श्रृंगार किया जाता है. इन्हें सृष्टि की आदि-स्वरूपा यानि आदिशक्ति कहा जाता हैं. कुष्मांडा की भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है, और इनका निवास सूर्यमंडल के भीतरी लोक में है.

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दिन 5 – स्कंदमाता

भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है. मां का ये स्वरूप मोक्ष के द्वार खोलने वाला और भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करने वाला हैं.

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दिन 6 – कात्यायनी

मां के छठे रूप कात्यायनी को चैंपियन देवी के रूप में दर्शाया जाता है. विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन इन्ही कात्य के गोत्र में उत्पन्न हुए थे, कात्यायनी सिंह की सवारी करती हैं, और इस प्रतीक में उनके चार हाथ हैं.

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दिन 7 – कालरात्रि

कालरात्रि देवी दुर्गा का सबसे उग्र रूप माना जाता है, सप्तमी को कालरात्रि की पूजा की जाती है. यह स्वीकार किया जाता है, कि पार्वती ने शुंभ और निशुंभ की दुष्ट शक्तियों को मारने के लिए अपनी गोरी त्वचा को हटा दिया था.

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दिन 8 – महागौरी

महागौरी ज्ञान और सद्भाव की देवी हैं. यह माना जाता है कि जब कालरात्रि ने गंगा जलमार्ग में सफाई की, तो उसकी जीभ अधिक गर्म होने के कारण गुलाबी हो गई. चित्र में उनकी जीभ गुलाबी है जो आशावाद को दर्शाती है.

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दिन 9 – सिद्धिदात्री

त्योहार का आखिरी दिन यानि नवमी का दिन सिद्धिदात्री का हैं. जिन्हे सिद्धी प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है. उन्हें महालक्ष्मी भी कहा जाता हैं. वह कमल पर बैठती है. सिद्धिदात्री को भी शिव और शक्ति का अर्धनारीश्वर रूप माना जाता है.

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पूरे भारत में नवरात्रि को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. चैत्र नवरात्रि का समापन रामनवमी के साथ होता है. भारत के पूर्वी और पूर्वोत्तर प्रांतों के बाहर यानि बंगाल की तरफ बंगाली हिंदुओं और शाक्त हिंदुओं के लिए नवरात्रि शब्द का मतलब मां दुर्गा के त्योहार से है. वहीं नेपाल में, नवरात्रि को दसैन कहा जाता है, और यह एक महत्वपूर्ण वार्षिक घर वापसी और पारिवारिक कार्यक्रम है जो वृद्ध लोगों और किशोरों के बीच टीका पूजा के साथ-साथ परिवार और स्थानीय क्षेत्र के व्यक्तियों के बीच बंधन का जश्न है.

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